🌟 परिचय (Introduction):
इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं 10 ऐसी लोकप्रिय नैतिक कहानियाँ जो हर बच्चे को ज़रूर सुननी चाहिए। (Hindi moral stories for kids)बच्चों की परवरिश में कहानियों का बेहद अहम योगदान होता है। कहानियाँ सिर्फ मनोरंजन नहीं करतीं, बल्कि बच्चों को नैतिक मूल्य और जीवन के जरूरी सबक भी सिखाती हैं।
1. शेर और चूहा | Hindi moral stories for kids

बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक बड़ा और शक्तिशाली शेर रहता था। वह जंगल का राजा था और सभी जानवर उससे डरते थे। एक दिन दोपहर को शेर अपने गुफा में आराम कर रहा था। उसकी गहरी नींद के बीच, एक छोटा सा चूहा खेलते-खेलते शेर के शरीर पर चढ़ गया।
शेर को नींद में खलल पड़ा और वह गुस्से में जाग गया। उसने अपने विशाल पंजों से चूहे को दबोच लिया और गुस्से में गरजते हुए बोला, “नालायक! क्या तू जानता नहीं मैं जंगल का राजा हूं? तूने मेरी नींद खराब की है, अब मैं तुझे खा जाऊंगा!”
चूहा डर के मारे कांपने लगा लेकिन उसने हिम्मत जुटाई और बोला, “हे जंगल के राजा! कृपया मुझे माफ कर दीजिए। मैं बहुत छोटा हूं लेकिन भविष्य में किसी दिन आपकी मदद कर सकता हूं।”
शेर को यह बात मजाक सी लगी। उसने हँसते हुए चूहे को छोड़ दिया और कहा, “जा, तुझे तो मैं एक निवाला में निगल सकता था, लेकिन तेरी हिम्मत देखकर छोड़ रहा हूं। अब जा, कहीं और खेल!”
दिन बीतते गए। कुछ हफ्तों बाद शेर जंगल में घूमते समय शिकारियों के जाल में फंस गया। उसने खूब जोर लगाया लेकिन जाल से बाहर नहीं निकल सका। शेर ज़ोर से दहाड़ने लगा, लेकिन कोई भी जानवर उसकी मदद करने नहीं आया।
तभी दूर से वह छोटा चूहा शेर की दहाड़ सुनकर दौड़ा चला आया। उसने देखा कि शेर एक मजबूत जाल में फंसा है। चूहा तुरंत अपने पैने दांतों से जाल को काटने लगा। थोड़ी ही देर में चूहे ने जाल के तागे काट डाले और शेर आज़ाद हो गया।
शेर बहुत खुश हुआ और बोला, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि एक छोटे से चूहे ने मेरी जान बचाई। तुमने साबित कर दिया कि मदद करने के लिए शरीर नहीं, दिल बड़ा होना चाहिए।”
चूहा मुस्कुराया और बोला, “राजा जी, आपने मुझ पर दया की थी, और आज मुझे अपने वचन को निभाने का मौका मिला।”
दोनों के बीच दोस्ती हो गई और वे खुशी-खुशी जंगल में साथ रहने लगे।
Moral: मदद करना कभी छोटा नहीं होता।
2. लालची कुत्ता | Hindi moral stories for kids

एक बार की बात है, एक छोटा सा गाँव था जहाँ बहुत से कुत्ते रहते थे। उन्हीं में से एक कुत्ता बहुत ही लालची था। वह दिन भर इधर-उधर घूमता रहता और खाने की तलाश करता। एक दिन उसे एक मांस का टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हो गया और उसे लेकर भागने लगा ताकि कोई दूसरा कुत्ता वह टुकड़ा न छीन ले।
रास्ते में उसे एक नदी मिली। नदी पर एक पुल बना हुआ था। वह कुत्ता उस पुल पर चढ़ गया और जैसे ही वह बीच पुल पर पहुँचा, उसने पानी में नीचे देखा। पानी इतना साफ था कि उसे अपना ही प्रतिबिंब दिखाई दिया, लेकिन उसे लगा कि वहाँ दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में भी मांस का टुकड़ा है।
उसने सोचा, “अगर मैं इस कुत्ते से भी मांस का टुकड़ा छीन लूं, तो मेरे पास दो हो जाएंगे।” यह सोचकर उसने ज़ोर से भौंका, जिससे उसके मुँह से मांस का टुकड़ा नदी में गिर गया और बह गया। अब न तो उसके पास अपना टुकड़ा रहा, और न ही वह दूसरा टुकड़ा मिला।
कुत्ता बहुत दुखी हुआ और पछताने लगा। उसने सीखा कि लालच करने से नुकसान ही होता है।
Moral: लालच का परिणाम हमेशा बुरा होता है।
3. दो दोस्त और भालू | Hindi moral stories for kids

एक बार की बात है, दो घनिष्ठ दोस्त थे – अमित और रवि। वे दोनों एक छोटे से गाँव में रहते थे और हर जगह एक साथ जाया करते थे। एक दिन दोनों ने तय किया कि वे पास के जंगल में घूमने जाएंगे। वे दोनों जंगल में घूमते-घूमते काफी अंदर तक चले गए। पेड़-पौधों की हरियाली और पक्षियों की चहचहाहट ने उनका मन मोह लिया।
चलते-चलते अचानक उन्हें एक अजीब सी आवाज़ सुनाई दी। जब उन्होंने ध्यान से सुना तो उन्हें समझ आया कि कोई बड़ा जानवर उनके पास आ रहा है। थोड़ी ही देर में सामने से एक भालू आता दिखाई दिया। दोनों दोस्त डर के मारे कांपने लगे।
अमित को बचपन से पेड़ों पर चढ़ने का अभ्यास था, वह तुरंत पास के एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया और खुद को छुपा लिया। लेकिन रवि को पेड़ों पर चढ़ना नहीं आता था। उसने डर के मारे इधर-उधर देखा, लेकिन उसे कोई रास्ता नहीं सूझा।
तभी उसे अपनी दादी की एक बात याद आई – “भालू मरे हुए इंसान को नहीं खाता।” यह याद आते ही वह झटपट ज़मीन पर लेट गया और सांस रोककर मृत इंसान की तरह बिलकुल शांत हो गया।
भालू रवि के पास आया, उसे सूंघा, उसके कान के पास मुंह ले जाकर कुछ बड़बड़ाया और फिर वहां से चला गया।
जब भालू चला गया, तो अमित पेड़ से नीचे उतरा और रवि से हँसते हुए पूछा – “भालू तेरे कान में क्या कह रहा था?”
रवि ने गंभीरता से जवाब दिया – “भालू ने कहा कि सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत में साथ दे, जो पेड़ पर चढ़कर अकेला छुप जाए वो दोस्त नहीं हो सकता।”
अमित को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने रवि से माफी मांगी और वादा किया कि भविष्य में वह कभी अपने दोस्त को अकेला नहीं छोड़ेगा।
Moral: संकट में ही सच्चा दोस्त पहचाना जाता है।
4. कछुआ और खरगोश | Hindi moral stories for kids

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश बहुत तेज दौड़ सकता था, और उसे अपनी गति पर बहुत घमंड था। दूसरी तरफ, कछुआ बहुत धीमा चलता था, लेकिन वह मेहनती और शांत स्वभाव का था।
एक दिन खरगोश ने कछुए का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, “तू तो इतना धीमा है कि अगर मैं सो भी जाऊं, तब भी तू मुझे हरा नहीं सकता।”
कछुआ मुस्कुराया और बोला, “तो चलो, एक रेस कर लेते हैं। जंगल के उस बड़े पेड़ तक – जो पहले पहुँचेगा वही जीतेगा।”
खरगोश को यह मज़ाक लगा, लेकिन वह मान गया और रेस शुरू हुई। खरगोश ने शुरुआत में ही बहुत तेज़ दौड़ लगाई और थोड़ी ही देर में कछुए से काफी आगे निकल गया। रास्ते में उसे एक पेड़ की छाया मिली और उसने सोचा, “कछुआ तो बहुत पीछे है। क्यों न थोड़ी देर आराम कर लूं? उसके आने से पहले ही मैं फिर दौड़कर जीत जाऊँगा।”
यह सोचकर वह पेड़ के नीचे लेट गया और धीरे-धीरे सो गया।
उधर कछुआ धीरे-धीरे लेकिन लगातार चलता रहा। वह थका जरूर था, लेकिन रुका नहीं। वह जानता था कि अगर वह रुकेगा तो रेस कभी नहीं जीत पाएगा। उसकी आंखों में सिर्फ एक ही लक्ष्य था – उस पेड़ तक पहुंचना।
कुछ समय बाद खरगोश की नींद खुली। उसने देखा कि सूरज ढलने लगा है और वह बहुत देर सो चुका है। वह घबरा गया और तुरंत दौड़ने लगा। लेकिन जब वह रेस के अंत तक पहुँचा, तो उसने देखा कि कछुआ पहले ही वहां पहुँच चुका है और मुस्कुरा रहा है।
खरगोश शर्मिंदा हो गया। उसे समझ आ गया कि केवल तेज़ होना काफी नहीं, बल्कि निरंतरता और धैर्य भी ज़रूरी है।
Moral: लगातार प्रयास करने से सफलता मिलती है।
5. किसान और उसके बेटे | Hindi moral stories for kids

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक बूढ़ा किसान अपने चार बेटों के साथ रहता था। किसान बहुत मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसके बेटे हमेशा आपस में झगड़ते रहते थे। वे एक-दूसरे से बात तक नहीं करते थे और कभी मिलकर काम भी नहीं करते थे। किसान को अपने बेटों की ये आदत बहुत दुख देती थी।
वह जानता था कि उसके बाद अगर बेटों में एकता नहीं रही, तो वे सब बर्बाद हो जाएंगे। किसान ने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने।
एक दिन किसान बहुत बीमार पड़ गया। उसे लगा कि अब उसका समय करीब आ गया है। तब उसने एक तरकीब सोची जिससे वह अपने बेटों को एकता का महत्त्व सिखा सके।
उसने चारों बेटों को पास बुलाया और एक-एक लकड़ी की छड़ी दी। फिर कहा, “इसे तोड़ो।” बेटों ने आसानी से एक-एक लकड़ी तोड़ दी। किसान मुस्कुराया और फिर एक गट्ठर लाया जिसमें कई लकड़ियाँ एक साथ बंधी थीं। उसने बेटों से कहा, “अब इसे तोड़ो।”
चारों ने बारी-बारी कोशिश की, लेकिन कोई भी उस बंधी हुई लकड़ियों की गट्ठर को नहीं तोड़ सका। तब किसान ने कहा, “देखा बेटा, जब तुम अलग-अलग थे, तब हर कोई तुम्हें तोड़ सकता था। लेकिन जब तुम एक साथ हो, तो कोई भी तुम्हें नहीं तोड़ सकता।”
किसान ने अपनी कमजोर आवाज में आगे कहा, “इस गट्ठर की तरह अगर तुम एक रहोगे, तो कोई भी मुश्किल तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचा सकती। लेकिन अगर तुम आपस में लड़ते रहोगे और बंटे रहोगे, तो जीवन में कभी सफल नहीं हो पाओगे।”
बेटों को अपने पिता की बात समझ में आ गई। उन्होंने आपस के सारे झगड़े भुला दिए और एक-दूसरे से माफ़ी मांगी। फिर से वे साथ रहने लगे और खेतों में मिल-जुलकर काम करने लगे। कुछ ही समय में उनका खेत बहुत उन्नति करने लगा और गाँव में उनका नाम हो गया।
बूढ़ा किसान ये देखकर बहुत खुश हुआ और शांतिपूर्वक अपनी आंखें मूंद लीं, यह जानकर कि उसके बेटे अब एकजुट हैं और भविष्य सुरक्षित है।
Moral: एकता में ही शक्ति है।
6. ईमानदार लकड़हारा | Hindi moral stories for kids

एक समय की बात है, एक गांव में राम नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह रोज़ जंगल जाता, पेड़ों से लकड़ियाँ काटता और उन्हें बेचकर अपना और अपने परिवार का गुज़ारा करता था। राम मेहनती और ईमानदार था। वह कभी भी किसी की चीज़ नहीं छीनता और ना ही किसी गलत रास्ते पर चलता था।
एक दिन की बात है, राम जंगल में लकड़ियाँ काट रहा था। थोड़ी देर बाद वह बहुत थक गया, तो उसने सोचा कि पास ही बहती नदी से थोड़ा पानी पी ले। वह नदी के किनारे गया और जैसे ही झुककर पानी पीने लगा, गलती से उसका कुल्हाड़ी हाथ से फिसलकर नदी में गिर गया।
राम बहुत घबरा गया। वह जानता था कि उसके पास सिर्फ एक ही कुल्हाड़ी है और वही उसके रोज़गार का ज़रिया है। अब बिना कुल्हाड़ी के वह अपना काम नहीं कर सकता था। वह बहुत दुखी होकर नदी के किनारे बैठकर रोने लगा।
तभी नदी से एक जलपरी प्रकट हुई। उसने राम से पूछा, “क्यों रो रहे हो लकड़हारे?” राम ने पूरी घटना सच-सच बताई कि उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है और अब उसके पास दूसरा कोई साधन नहीं है।
जल्परी मुस्कुराई और नदी में डुबकी लगाकर एक सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर आई। उसने राम से पूछा, “क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” राम ने देखा और तुरंत मना कर दिया, “नहीं देवी, यह मेरी नहीं है। मेरी कुल्हाड़ी लोहे की थी।”
जल्परी दोबारा डुबकी लगाकर एक चांदी की कुल्हाड़ी लाई और पूछा, “क्या यह तुम्हारी है?” राम ने फिर से मना कर दिया।
फिर जलपरी तीसरी बार डुबकी लगाकर राम की असली लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आई और पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” राम की आंखों में खुशी और आभार के आंसू आ गए। उसने कहा, “हाँ देवी, यही मेरी कुल्हाड़ी है।”
जल्परी राम की ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुई। उसने राम को उसकी असली कुल्हाड़ी के साथ-साथ वह सोने और चांदी की कुल्हाड़ी भी इनाम के तौर पर दे दी। राम ने धन्यवाद कहा और प्रसन्न होकर घर लौट गया।
राम की ईमानदारी की कहानी पूरे गांव में फैल गई। लोग उसकी ईमानदारी की सराहना करने लगे और बच्चे भी उससे प्रेरित होकर सच्चाई की राह पर चलने लगे।
Moral: ईमानदारी का फल हमेशा अच्छा होता है।
7. शेर और चालाक सियार | Hindi moral stories for kids

बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक ताकतवर शेर रहता था। वह जंगल का राजा था और रोज़ शिकार करता, जिससे बाकी जानवर उससे डरते थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, शेर बूढ़ा हो गया और अब वह तेजी से दौड़ नहीं पाता था। शिकार करना अब उसके लिए मुश्किल हो गया था।
भूख से परेशान शेर ने सोचा, “अब मुझे कोई ऐसा तरीका निकालना होगा जिससे बिना दौड़े मैं शिकार कर सकूं।” तभी उसकी मुलाकात एक चालाक सियार से हुई, जिसका नाम था चिंकू।
चिंकू बहुत चालाक और होशियार था। शेर ने उससे कहा, “अगर तुम मेरी मदद करोगे तो मैं तुम्हें हर दिन अपने खाने में से हिस्सा दूंगा।” चिंकू को यह प्रस्ताव बहुत अच्छा लगा और उसने शेर की मदद करने का वादा किया।
अगले दिन से चिंकू ने शेर की योजना पर काम करना शुरू किया। वह जंगल के भोले-भाले जानवरों को बहलाने और बहकाने लगा। वह उन्हें शेर की गुफा तक लाता और कहता, “शेर महाराज अब बहुत दयालु हो गए हैं। वे किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते। बस उनसे मिलने चलो, वो तुम्हें आशीर्वाद देंगे।”
जैसे ही कोई जानवर गुफा में जाता, शेर उस पर झपटता और उसे मारकर खा जाता। धीरे-धीरे बहुत से जानवर गायब होने लगे। जंगल में डर फैल गया लेकिन कोई समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है।
एक दिन एक चालाक खरगोश ने सियार की चालाकी को समझ लिया। उसने बाकी जानवरों को बताया कि शेर और सियार मिलकर उन्हें धोखा दे रहे हैं। सब जानवरों ने मिलकर एक योजना बनाई।
अगले दिन सभी जानवर मिलकर शेर की गुफा के बाहर गए और जोर-जोर से शोर मचाया। शेर घबरा गया और बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन जानवरों ने पत्थरों से उसकी गुफा का रास्ता बंद कर दिया।
फंसा हुआ सियार भी बाहर नहीं निकल सका। दोनों वहां भूख से तड़पते रहे और धीरे-धीरे उनकी चालाकी का अंत हो गया।
इस घटना के बाद जंगल में फिर से शांति आ गई। सभी जानवरों ने मिलकर यह ठान लिया कि अब किसी की भी बातों में नहीं आएंगे और आपस में एकजुट रहेंगे।
Moral: बुद्धिमानी और एकता से बड़ी से बड़ी समस्या सुलझाई जा सकती है।
8. भूखा कौआ | Hindi moral stories for kids

गर्मियों के दिन थे। सूरज अपनी पूरी ताकत के साथ आसमान में चमक रहा था। धरती पर मानो आग बरस रही थी। ऐसे में एक कौआ बहुत प्यासा हो गया। वह आसमान में उड़ता रहा, इधर-उधर पानी की तलाश करता रहा, लेकिन उसे कहीं भी पानी नहीं मिला।
काफी देर तक उड़ने के बाद वह बहुत थक गया। उसकी उड़ने की ताकत भी जवाब देने लगी। तभी उसे दूर से एक बगीचे में रखा एक मटका नजर आया। उसे आशा की एक किरण दिखाई दी और वह तेजी से उड़कर मटके के पास पहुंचा।
कौए ने देखा कि मटके में पानी तो है, लेकिन वह बहुत नीचे है। उसकी चोंच वहां तक नहीं पहुंच पा रही थी। पहले तो वह परेशान हो गया, लेकिन फिर उसने हार नहीं मानी और सोचने लगा कि अब क्या किया जाए?
कुछ देर बाद उसे एक उपाय सूझा। उसने आस-पास नजर दौड़ाई और छोटे-छोटे कंकड़ चुनने लगा। एक-एक करके वह कंकड़ मटके में डालने लगा। हर कंकड़ के साथ पानी थोड़ा-थोड़ा ऊपर आने लगा।
यह देखकर कौआ और भी उत्साहित हो गया। उसने मेहनत जारी रखी और धीरे-धीरे मटके में पानी इतनी ऊंचाई तक आ गया कि वह अपनी चोंच से पानी पी सके।
कौए ने जैसे ही पानी पिया, उसकी जान में जान आई। वह बहुत खुश हुआ और आसमान की ओर उड़ चला। जाते-जाते उसने सोचा, “अगर मैं हिम्मत हार जाता तो शायद प्यास से ही मर जाता।”
फिर उसने देखा, पास में एक कबूतर बैठा हुआ है जो बहुत उदास लग रहा है। कौआ उसके पास गया और पूछा, “भाई, क्या बात है?”
कबूतर बोला, “मैं बहुत भूखा हूँ, लेकिन कहीं खाना नहीं मिल रहा।”
कौए ने तुरंत आसपास देखा और बगीचे के कोने में पड़े कुछ अनाज के दाने लाकर कबूतर के सामने रख दिए। कबूतर बहुत खुश हुआ और बोला, “तुमने मेरी भूख मिटाकर मेरी जान बचाई। मैं यह एहसान कभी नहीं भूलूंगा।”
कौआ मुस्कराया और बोला, “जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो मुश्किल समय भी आसान हो जाता है।”
उस दिन के बाद से कौआ और कबूतर अच्छे दोस्त बन गए। वे मिलकर दूसरे पक्षियों की भी मदद करते और एकजुट होकर रहते।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मुश्किल समय में हार नहीं माननी चाहिए और जहां तक हो सके, ज़रूरतमंद की मदद जरूर करनी चाहिए।
Moral: ज़रूरतमंद को मदद करनी चाहिए।
9. बन्दर और मगरमच्छ | Hindi moral stories for kids

बहुत समय पहले की बात है। एक बड़ा सा हरा-भरा पेड़ नदी के किनारे खड़ा था। उस पेड़ पर एक चतुर और खुशमिजाज बंदर रहता था। वह पूरे दिन पेड़ पर झूला झूलता, फल खाता और गीत गाता। उसी नदी में एक मगरमच्छ भी रहता था।
एक दिन मगरमच्छ नदी के किनारे आया और पेड़ के नीचे आराम करने लगा। बंदर ने उसे देखा और हंसते हुए कहा, “अरे भाई, तुम थके हुए लग रहे हो। आओ कुछ मीठे फल खाओ।”
मगरमच्छ को भूख लगी थी, उसने तुरंत हाँ कह दी। बंदर ने कुछ स्वादिष्ट जामुन तोड़कर नीचे फेंके। मगरमच्छ ने उन्हें चखते ही कहा, “वाह! ये तो बहुत मीठे हैं, मैंने आज तक ऐसे फल नहीं खाए।”
धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई। अब मगरमच्छ रोज नदी किनारे आता और बंदर उसे फल खिलाता। वे खूब बातें करते और हँसी-मजाक करते।
एक दिन मगरमच्छ ने वो मीठे जामुन अपनी पत्नी को खिलाने का सोचा। वह कुछ फल घर ले गया और पत्नी को दिए। पत्नी को फल बहुत पसंद आए, लेकिन वह जलन से भर गई। उसने कहा, “अगर ये फल इतने मीठे हैं, तो सोचो उस बंदर का दिल कितना मीठा होगा! मुझे उसका दिल चाहिए।”
मगरमच्छ ने पहले इंकार किया, लेकिन पत्नी के ज़ोर देने पर वह अगले दिन बंदर के पास गया और बोला, “दोस्त! मेरा घर नदी के दूसरी ओर है। मेरी पत्नी तुमसे मिलना चाहती है। चलो मेरे साथ।”
बंदर पहले तो झिझका, लेकिन फिर दोस्ती के नाते मान गया और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया।
जब वे नदी के बीच पहुँचे, तब मगरमच्छ ने सच्चाई बता दी, “मुझे माफ करना मित्र, मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है, इसलिए मैं तुम्हें ले जा रहा हूँ।”
बंदर बहुत घबराया, लेकिन वह चतुर था। उसने तुरंत बुद्धि से काम लिया और कहा, “अरे मित्र! तुम पहले बताते तो मैं अपना दिल ले आता। मैं तो उसे पेड़ पर छोड़ आया हूँ। चलो वापस चलो, मैं दिल ले आता हूँ।”
मगरमच्छ को बंदर की बात पर विश्वास हो गया। वह उसे वापस ले आया। जैसे ही बंदर पेड़ पर चढ़ा, वह हँसते हुए बोला, “मूर्ख मगरमच्छ! क्या कोई अपना दिल पेड़ पर रखकर आता है? तू तो अपनी दोस्ती और मेरी बुद्धिमानी दोनों हार गया!”
मगरमच्छ को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने शर्मिंदा होकर माफी मांगी।
Moral: धोखा देने वाले से सतर्क रहना चाहिए।
10. कौए और हंस की कहानी | Hindi moral stories for kids

एक घने जंगल के पास एक सुंदर झील थी। उस झील में एक हंस रहता था जिसकी सफेद, चमकदार पंख और शांति से भरी चाल देखकर हर कोई मोहित हो जाता। वहीं पास के ही पेड़ पर एक काला कौआ रहता था। वह हमेशा हंस को देखकर ईर्ष्या करता था।
कौआ सोचता, “यह हंस कितना सुंदर है, सभी उसकी तारीफ करते हैं, और मैं तो साधारण सा काला पक्षी हूँ। क्या मैं भी ऐसा बन सकता हूँ?”
एक दिन कौए ने तय किया कि वह भी हंस जैसा बनने की कोशिश करेगा। उसने देखा कि हंस हर दिन शांत झील में तैरता है, कम बोलता है और किसी से झगड़ता नहीं। कौए ने सोचा, “अगर मैं भी इसी तरह रहूं, तो सब मुझे सुंदर और शांत समझेंगे।”
अब कौआ रोज झील में तैरने लगा, लेकिन उसका शरीर पानी में तैरने के लिए बना नहीं था। वह जल्दी थक जाता और कभी-कभी डूबने की स्थिति में भी आ जाता। वह बोलने से भी बचता, जिससे उसके पुराने दोस्त सोचने लगे कि वह घमंडी हो गया है। धीरे-धीरे उसके सारे दोस्त उससे दूर हो गए।
एक दिन हंस ने उसे परेशान और दुखी देखा। उसने पूछा, “तुम इतने परेशान क्यों हो कौए भाई? सब कुछ ठीक है?”
कौए ने सच्चाई बता दी — “मैं तुम्हारी तरह बनना चाहता था, इसलिए तुम्हारे जैसा व्यवहार करने लगा, लेकिन अब न कोई मेरा दोस्त रहा, न मैं खुश हूँ। और हां, मैं तुम्हारे जैसा दिख भी नहीं पाया।”
हंस मुस्कराया और बोला, “प्रिय कौए, तुम जैसे हो वैसे ही बहुत अनोखे हो। मैं सफेद हूँ और तुम काले, लेकिन तुम्हारी आवाज़ में वो ताकत है जो किसी और में नहीं। तुम जैसे ऊँचाई से उड़ सकते हो, वैसा कोई और नहीं कर सकता। अपनी खूबियों को पहचानो, तभी असली खुशी मिलेगी।”
कौए को हंस की बात समझ आ गई। उसने अपनी असलियत को स्वीकार किया और वही बना जो वह था। जब वह दोबारा अपने पुराने अंदाज़ में वापस आया — ऊँचाई से उड़ता, चहकता, तो उसके दोस्त भी वापस आ गए।
अब कौआ और हंस अच्छे मित्र बन गए और एक-दूसरे का सम्मान करने लगे।
Moral: अपनी पहचान और खूबियों को समझना ज़रूरी है।
✅ निष्कर्ष (Conclusion):
इन Hindi moral stories for kids के ज़रिए आप अपने बच्चों को जीवन की बड़ी सीख छोटे-छोटे किस्सों से दे सकते हैं। ऐसी कहानियाँ बच्चों के चरित्र निर्माण और सोचने की क्षमता को बढ़ाने में बेहद मददगार होती हैं। रोज़ रात सोने से पहले ऐसी एक कहानी सुनाना बच्चों के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकता है।
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